आरती श्री गोपाल जी की- Aarti Shri Gopal Ji Ki Lyrics in Hindi
आरती श्री गोपाल जी की- Aarti Shri Gopal Ji Ki Lyrics in Hindi
आरती श्री गोपाल जी की- Aarti Shri Gopal Ji Ki Lyrics in Hindi |
आरती श्री गोपाल जी की- Aarti Shri Gopal Ji Ki Lyrics in Hindi
आरती श्री गोपाल जी की -1
आरती जुगलकिशोर कि कीजै, तन मन धन न्यौछावर कीजै ॥
रवि शशि कोटि बदन कि शोभा, ताहि निरखि मेरी मन लोभा ॥
गौर श्याम मुख निखरत रीझै, प्रभु को स्वरूप नयन भरि पीजै ॥
कंचन थार कपूर की बाती, हरि आए निर्मल भई छाती ॥
फूलन की सेज फूलन की माला, रतन सिंहासन बैठे नन्दलाला ॥
मोर मुकुट कर मुरली सोहे, नटवर वेष देखि मन मोहे ॥
ओढ़यो नील-पीत पटसारी, कुंज बिहारी गिरवरधारी ॥
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी,आरती करें सकल ब्रजनारी ॥
नन्द लाला वृषभानु किशोरी, परमानन्द स्वामी अविचल जोरि ॥
आरती जुगल किशोर की कीजै, तन मन धन न्यौछावर कीजै ॥
आरती श्री गोपाल जी की -2
आरती बालकृष्ण की कीजे ।
अपना जनम सफल करि लीजे ।।
श्री यशोदा का परम दुलारा ।
बाबा की अखियन का तारा ।।
गोपिन के प्राणन का प्यारा ।
इन पर प्राण निछावर कीजे ।।
आरती बालकृष्ण की कीजे ।
बलदाऊ का छोटा भैया।
कान्हा कहि कहि बोलत मैया ।।
परम मुदित मन लेत वलैया ।
यह छबि नैनन में भरि लीजे ।।
आरती बालकृष्ण की कीजे ।
श्री राधावर सुघर कन्हैया।
ब्रज जन का नवनीत खवैया।।
देखत ही मन नयन चुरैया ।
अपना सरबस इनको दीजे।।
आरती बालकृष्ण की कीजे।
तोतरि बोलनि मधुर सुहावे ।
सखन मधुर खेलत सुख पावे ।।
सोई सुकृति जो इनको ध्यावे।
अब इनको अपनो करि लीजे।।
आरती बालकृष्ण की कीजे ।
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